आयुर्वेद
आयुर्वेदयति बोधयति इति आयुर्वेदः
अर्थात जो शास्त्र (वेद) आयु (जीवन) जीने की सही शैली समझाता है आयुर्वेद कहलाता है.
उत्पति :
भारतीय हिन्दू संस्कृति में कई हज़ारो वर्ष पूर्व आयुर्वेद को लिखा गया. अश्विनी कुमार, धन्वंतरि, दिवोदास (काशिराज), नकुल, सहदेव, अर्कि, च्यवन, जनक, बुध, जावाल, जाजलि, पैल, करथ, अगस्त, अत्रि तथा उनके छः शिष्य (अग्निवेश, भेड़, जातूकर्ण, पराशर, सीरपाणि हारीत), सुश्रुत और चरक जैसे महपुरूषो द्वारा आयुर्वेद आज के आधुनिक युग को बहुत बड़ी भेट है. सभी महापुरुषों को शत शत नमन.
आयुर्वेद का अर्थ :
आसान भाषा में आयुर्वेद एक ऐसा ग्रन्थ है जिसे समझकर मनुष्य जाती, जीवन जीने की सर्वोच्च शैली जान सकता है
आयुर्वेद की उपयोगिता :
यदि मनुष्य जाती आयुर्वेद के अनुसार जीवन जीए, तो मनुष्य जाती का जीवन सुगम, सुन्दर निरोग हो जायेगा। जिस प्रकार हम विज्ञानं का अध्यन करने के बाद विज्ञानं को समझते है, उसी प्रकार आयुर्वेद को समझकर हम शरीर के पीछे चल रहे विज्ञानं को समझते है.
आयुर्वेद के उदेश्य :
• शरीर की मूल सरंचना को समझना
• शरीर को रोगो से दूर रखना
शरीर की सरंचना :
जिस प्रकार ब्रह्माण्ड पांच तत्वों से मिलकर बना है उसी प्रकार शरीर की संरचना भी उन्ही पांच तत्वों से मिलकर हुई है
पांच तत्व
1. अग्नि
2. हवा
3. आकाश
4. धरती
5. एवं जल
आयुर्वेद में इन्ही पांच तत्वों को समझा गया है और साथ में ही शरीर में त्रिदोष वात, पित्त, कफ्फ के संतुलन को समझा गया है.
इन्हीं त्रिदोषों को आधार मानकर शरीर के लिए उपयुक्त जीवन शैली को समझाया गया है.
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